कहीं परबत पर बादल छाए,
तो कहीं परदेश से साजन आए,
चीर, साल, देवदार हर कोने से लहलहाए,
ऐ कश्मीर तेरी वादी में, मुर्दा भी मुस्कुराए,
यहां रिश्ते सीमाओं में नहीं, परिभाषाओं में नहीं बंधे
कश्मीर हर एक उस शख्स का है, जो खड़ा है निशाना साधे
यहां गरमी कहवे की तो, कभी बारूद से भी हो जाती है,
ये कश्मीर तू कभी लहू सी लाल तो कभी सफेद चादर सी सफेद हो जाती है
यहां केसर से हर बाग महकते, स्वेत झीलों से हर गांव चहकते,
उम्मीद से है रौशन यहां का कोना कोना, मेरे मुसाफिर तू कभी उदास ना होना,
पंच नदियों का बसेरा है, कश्मीर आज एक नया सवेरा है,
हम फौजियों की जान है, वतने हिन्द की शान है,
हर शख्स तुझपे कुर्बान है, यही जीत है, यही मान है,
जय हिन्द
अदिती सिंह
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