पहाड़ों की गोद में बैठी जन्नत, सारे जुल्मों को सहती थी | यहां तो मानव दानव बन गया, एक दिन वो खुद से कहती थी ||
अपने आप में रोते थी ये, इन मुश्किल सवालों में | आखिरी क्यों पत्थर मार रहे हो, मेरे ही रखवालों पे ||
क्या मैं इतनी बुरी हूं, जो इतने जुर्मों को सहती हूं |
मुझे इंसाफ मिलेगा कब , भारत मां तुझसे कहती हूं ||
हट गई धारा 370, कश्मीर में अब खुशहाली है | जिस धरती में चल रही थी गोली, अब वहां हरियाली है ||
स्वर्ग से बढ़कर है ये धरती, जन्नत का कोहिनूर है |
सेब अखरोट बादाम के बागीचे, केसर में मशहूर है ||
नाकाम हो रहे दुश्मन के इरादे, दुश्मन सोचता रह गया |
अच्छा क्या है बुरा है क्या, बच्चा-बच्चा समझ गया ||
ना अब कोई पत्थर मारेगा, न चलेंगी यहां गोली |
अब मनायेगा कश्मीर खुशी से, ईद दिवाली होली ||
आने वाला कल कहता है, कश्मीर फिर से स्वर्ग बन जाएगा
दुनिया वाले देखते रहना, अब हर घर तिरंगा लहरायेगा
मां के ममता छा गई है, बच्चों की मुस्कान आ गई है चारो या अमन श्रृंखला की खुशहाली है, यारो ये बदलता कश्मीर है
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