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Writer's pictureJK Blue

बदलते कश्मीर की बदलती तस्वीर



MERA KASHMIR BADAL RAHA HAI

पहाड़ों की गोद में बैठी जन्नत, सारे जुल्मों को सहती थी | यहां तो मानव दानव बन गया, एक दिन वो खुद से कहती थी ||

अपने आप में रोते थी ये, इन मुश्किल सवालों में | आखिरी क्यों पत्थर मार रहे हो, मेरे ही रखवालों पे ||

क्या मैं इतनी बुरी हूं, जो इतने जुर्मों को सहती हूं | मुझे इंसाफ मिलेगा कब , भारत मां तुझसे कहती हूं ||

हट गई धारा 370, कश्मीर में अब खुशहाली है | जिस धरती में चल रही थी गोली, अब वहां हरियाली है ||

स्वर्ग से बढ़कर है ये धरती, जन्नत का कोहिनूर है | सेब अखरोट बादाम के बागीचे, केसर में मशहूर है ||

नाकाम हो रहे दुश्मन के इरादे, दुश्मन सोचता रह गया | अच्छा क्या है बुरा है क्या, बच्चा-बच्चा समझ गया ||

ना अब कोई पत्थर मारेगा, न चलेंगी यहां गोली |

अब मनायेगा कश्मीर खुशी से, ईद दिवाली होली ||

आने वाला कल कहता है, कश्मीर फिर से स्वर्ग बन जाएगा दुनिया वाले देखते रहना, अब हर घर तिरंगा लहरायेगा

मां के ममता छा गई है, बच्चों की मुस्कान आ गई है चारो या अमन श्रृंखला की खुशहाली है, यारो ये बदलता कश्मीर है


MERA KASHMIR BADAL RAHA HAI





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